- The Water is not Purified Drinking Water, It’s raw water collected directly from The Rivers and packed after a normal filter.
- The water is for puja purposes only.
- The water is in its most Natural, Pure, Pristine, Uncontaminated & Holiest Condition.
हिं दू धर्म की सनातन परंपरानुसार देशभर में पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में स्थित सात नदियों के जल को बेहद पवित्र माना जाता है। इन पवित्र नदियों के नाम हैं: गंगा, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, कृष्णा, ब्रह्मपुत्र और यमुना। अमूमन इन सभी सात नदियों के जल को एक पात्र में एकत्र कर किसी धार्मिक कार्य के दौरान प्रयोग में लाया जाता रहा है।
इसीलिए भारत भूमि धर्म प्रधान है
मान्यता है कि इन पवित्र नदियों के जल हिंदू धर्म के सात मुख्य देवी-देवताओं झ्र भगवान शिव, श्री राम, श्री कृष्ण, भगवान हनुमान, भगवान गणेश, भगवान दत्तात्रेय एवं मां दुर्गा को बहुत प्रिय हैं। इन सात पवित्र नदियों की हिंदुस्तान की धरती पर उपस्थिति के कारण ही यह देश पूरी दुनिया में सर्वाधिक सतोगुण संपन्न देश माना जाता है, जहां पर सबसे ज्यादा धर्म प्रधान लोग रहते हैं।
प्रायश्चित व समाधि के लिए इस्तेमाल
योगियों व संन्यासियों को भी इन्हीं नदियों के तट अपने प्रायश्चित के लिए सर्वाधिक प्रिय रहे हैं। प्राचीन काल से ही अनेक साधु-संन्यासी इन्हीं पवित्र नदियों के जल में समाधि लेकर इहलीला समाप्त करते रहे हैं। वस्तुत: इन नदियों की महत्त्ता कई अन्य कारणों से भी रही है।
हर नदी किसी विशेष देवता से संबद्ध
भारत के विविध भागों में प्रवाहित कुछ बेहद महत्वपूर्ण नदियों का किन-किन देवी-देवताओं से समीकरण स्थापित किया जाता है, यह जानना भी बेहद आवश्यक है यथा: गंगा, भगवान शिव, गोदावरी, श्री राम, यमुना झ्र श्री कृष्ण, सिंधु, श्री हनुमान, सरस्वती, भगवान गणेश, कावेरी, भगवान दत्तात्रेय, नर्मदा, देवी दुर्गा पवित्र नदियों के जल से देवताओं की मूर्तियों का जलाभिषेक इन सात पवित्र नदियों के जल से धार्मिक विधान के लिए प्रयुक्त होने वाले पात्र के द्वारा देवताओं की मूर्तियों का जलाभिषेक किया जाता है। पवित्र पात्र से नि:सृत सूक्ष्म ध्वनि प्रमुख सातों देवी-देवताओं की आवृतियों को अपनी ओर आकर्षित कर पात्र में उपस्थित जल को ऊर्जा युक्त कर देती है जिससे समस्त वातावरण ईश्वरमय हो जाता है। यह सूक्ष्म ध्वनि अपनी तीव्र गति व वृहत्तम फैलाव के कारण दैवीय शक्तियों द्वारा नि:सृत ऊर्जा को संपूर्ण वातावरण में दीर्घावधि के लिए परिव्याप्त कर देती है।
ईश्वरीय अनुभूति के लिए ह्यतीर्थ जल का प्रयोग
चूंकि पवित्र पात्र में उपस्थित जल की यह ध्वनि आवृतियां जल एवं वायु के सूक्ष्मतम कणों के माध्यम से विस्तृत फैलाव ग्रहण करती हैं, इसीलिए इनका प्रयोग ईश्वरीय अनुभूति के लिए ह्यतीर्थ जल के रूप में किया जाता है। इस पवित्र जल को पीने से श्रद्धालुओं के भीतर भगवत्ता को अनुभव करने की शक्ति जाग्रत होती है। उल्लिखित सातो नदियों का यह पवित्र जल किसी भी साधक या आम श्रद्धालु में सतोगुण की मात्रा का विस्तार करने में सक्षम है। इसीलिए आदिकाल से ही इन नदियों का जल एकत्रित कर धार्मिक विधि-विधान में प्रयोग किया जाता है।